सोमवार, 14 मार्च 2011

BABA RAMDEV : EK NIRBHIK VAKTA

इंडिया टी वी पर प्रसारित बाबा रामदेव का ओजस्वी भाषण भारत के सुनहरे भविष्य का संकेत देता है . उनके विचारों में यदि किंचित स्वार्थ का अंश ना हो तो ये भारत में क्रांतिकारी परिवर्तन करने  और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेकने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं .भारत को आज ईमानदार , निस्वार्थ एवं समर्पित लोगों की जरूरत है .राजनीति में आकर सत्ता -सुख भोगने वालों की नहीं .जनता को यदि स्वयं  और अपने बच्चों को एक 
बेहतर कल देना है तो हमें अपने आज को गंभीरता से लेना ही होगा .केवल बुराइयाँ करने से कुछ होने वाला नहीं .
हमें आगे आकर परिवर्तन को सहज भाव से ग्रहण करना होगा और उसका स्वागत करना होगा . मतदान करने वाले दिन को जब तक हम अवकाश और मस्ती का दिन समझते रहेंगे तब तब तक देश की हालत में कोई सुधार
होने वाला नहीं .यही वो दिन होता है जिस दिन हम अपने आने वाले पाँच सालों के भविष्य के स्वरुप का निर्धारण करते हैं . आज स्थिति यह है कि इस दिन को हम गंभीरता से लेना शायद ज़रूरी नहीं समझते .फिर बौखलाहट में शिकायत करते रहने से कोई फायदा होने वाला नहीं .रामदेव जैसे लोग पहले भी इस देश में आते रहे हैं और क्रांतिकारी   परिवर्तन के बड़े-बड़े दावे भी करते रहे हैं .मुझे लगता है चांस लेने में क्या जाता है .हमे एक बार बाबाजी समर्थित राजनीतिक विकल्प को देश की सत्ता का का विकल्प बनने का अवसर देना ही चाहिए .बड़ी-बड़ी पार्टियों के नाम पर आंख बंद करके वोट देने की मानसिकता में अब सुधार की ज़रूरत है. वास्तव में देश को पार्टी की नहीं सही, समर्पित व्यक्ति की ज़रूरत है .राजनीति का क्षेत्र  इतना घटिया बन चुका है कि आज राजनीति में कोई भी ईमानदार आदमी आना ही नहीं चाहता .अगर भूले भटके आ भी जाता है तो बड़ी पार्टियाँ उसे टिकट नहीं देती. निर्दलीय को गंभीरता से लेने की हमारी मानसिकता नहीं है .इस कारण बेचारा एक ईमानदार आदमी कदम पीछे हटाने पर मजबूर हो जाता है .बड़ी पार्टियों के मोह में हम अपने देश को पता नहीं किस दिशा में मोड़ते चले जा रहे हैं .बड़ी पार्टियों के लिए आम आदमी एक अदद वोट से ज्यादा कुछ भी नहीं होता.जिसकी याद उन्हें पांच साल में सिर्फ एक बार आती है .शायद इसीलिए हिंदी के मशहूर  कवि सुदामाप्रसाद
पाण्डेय 'धूमिल' को कहना पड़ा कि जनता एक शब्द है या कि  भेड़ जो दूसरों की ठण्ड  को दूर करने के लिए  अपनी  पीठ  पर ऊन की   फसल ढो रही है .अब फैसला हमारे  ऊपर है कि हम  कब तक खुद को भेड़ बना कर रखना  चाहेंगे . इतने सारे घोटाले हमारे  सामने आए , देश  की  इज्ज़त  दुनिया की नज़र में ख़राब हुई , ललिता पार्क  लक्ष्मी nagar delhi में न जाने कितने लोग अवैध इमारत ढहने से असमय काल का ग्रास बन गए. आम  आदमी  या तो  मरने  के  लिए  पैदा हुआ  है या  रैलियों  में भीड़  बनने के  लिए  या  फिर  वोट  देकर  सत्ता  लोभियों को  विभिन्न तरह  के  सुख  संग्रह करने का अवसर  देने के लिए  उसका अस्तित्व  है. आज ज़रूरत है जनता को  जागरूक होकर सही  फैसला  लेने की . हमें किसी के  बहकावे  में न  आकर सही  व्यक्ति  को देश की  बागडोर  सौपनी  चाहिए  .आँख  बंद  करके  बड़ी-बड़ी  पार्टियों  को  नहीं .सत्ताधारियों को आम  आदमी  के  बारे  में सोचने  के  लिए  मजबूर  होना  ही  पड़ेगा अगर हम अपनी  ताकत  के  बारे  में  गंभीरता  से  सोचना  शुरू  कर  दें.   पैसा  लेकर  नेताओं  के पक्ष में  मतदाताओं की मानसिकता  को  मोड़ने  वाली  ख़बरों से  अब  सावधान होने की  ज़रूरत  है .बाबा  रामदेव  जैसे लोग  यदि  इस  परिवर्तन  के  अग्रदूत  बनकर सामने  आना  चाहते  हैं  तो  इसमें  बुराई ही क्या है ? किसी  न  किसी  को  तो  आगे  आना ही  पड़ेगा  . ये  तो  हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है कि हम आँख बंद  करके  किसी पर भी  भरोसा  न  करें .बाबा  रामदेव  की मानसिकता  भी  यदि  सत्ता  सुख की नहीं देश सेवा की है तो  देश के  भविष्य  के  लिए  अच्छा हो  सकता है .इंडिया  टी वी पर  उनकी  निर्भय  और  सटीक ,तथ्यपरक वाणी लोगों  को  जागरूक  और  निडर  होने  का सन्देश   देती  है.