शिक्षा और ज्ञान में अंतर समझे बिना शिक्षा मात्र झूठा दिलासा हो सकती है .
दूसरों के सुखों पर दुखी होने और दूसरों के दुखों पर सुखी होने से मनुष्यता मात्र छलावा हो सकती है .
बिना लक्ष्य ज़िन्दगी बसर करने से ज़िन्दगी मात्र छलावा हो सकती है .
दूसरों में कमियां और स्वयं में सम्पूर्णता ढूँढने से प्रगति मात्र छलावा हो सकती है .
केवल धन के पीछे भागते रहने से खुशियाँ मात्र छलावा हो सकती हैं .
दूसरों को दुःख देकर चैन से सोने से नींद मात्र छलावा हो सकती है .
अदृश्य से प्रेम और प्रत्यक्ष का अनादर करने से ईश्वर की भक्ति मात्र छलावा हो सकती है .
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