रविवार, 29 सितंबर 2013

जनता की भाषा और भारत की तरक्की

  भारत के विकास कि सबसे बड़ी बाधा है. लोगों की मातृभाषा की बजाय अंग्रेजी भाषा में महत्त्वपूर्ण जानकारी का उपलब्ध होना .जब लोगों को जानकारी ही नहीं होगी .तो वो भला किससे और किस हक की बात कर पाएंगे?

उच्च शिक्षा पर अंग्रेजी काबिज है और आम इंसान अपनी मातृभाषा में 
ही उलझा हुआ है. मातृभाषा में उच्च शिक्षा उपलब्ध न होने का ही परिणाम है कि तकनीकी विषयों में रुचि रखने वाला और तकनीक के व्यावहारिक पक्ष का गहन जानकार बालक इंजीनियर बनने की बजाय 
किसी मैकेनिक की दुकान पर २००० रु महीने पर अपने भविष्य को 
उज्जवल बनाने का असफल प्रयास कर रहा होता है. 
गार्डनर के  MULTIPLE INTELLIGENCE  सिद्धांत की यहाँ पर हवा निकल 
जाती है. जब तक अंग्रेजी के जानकार भारतीय, अपने देश की जनता के हित के लिए विदेशी ज्ञान -विज्ञान को भारत की भाषाओं में उपलब्ध 
करवाने में देशभक्ति की अनुभूति नहीं करेंगे तब तक ज्ञान-विज्ञान और
भारत की तकनीकी प्रगति में आम भारतीय मात्र एक उपभोक्ता ही बना रहेगा. उत्पादन का भागीदार कभी भी नहीं बन पाएगा. आज भारतीय 
बाज़ार पर चाइना काबिज होता जा रहा है. दीवाली के सामान ,रक्षाबंधन की राखियां ,होली की पिचकारियाँ .क्या ये सब हम खुद नहीं बना सकते ?
या दुनिया के लिए बस बाज़ार ही उपलब्ध करवाते रहना हमारा काम रह गया.उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षक पूर्ण रूप से अंग्रेजी भक्त बने हुए हैं.
समझ नहीं आता कि ये सम्माननीय समूह अंग्रेजी का प्रसार कर रहा है या ज्ञान -विज्ञान का ? इन संस्थानों में मातृभाषा के विद्यार्थियों को उन्हीं 
के हाल पर छोड़ दिया जाता है. भई, ये लो अंग्रेजी में लिखे नोट्स ,बस हम इतना ही कर सकते हैं. आगे तुम्हे देखना है कि इन्हें कैसे समझोगे. क्लास में तो इंग्लिश में ही लेक्चर होंगे. हाँ,परीक्षा हिंदी में या अपनी भाषा में 
दे सकते हो. अब कितनी विकट स्थिति है ये. एक शिक्षक जो कि उस विषय का विशेषज्ञ है , अपना पल्ला झाड रहा है. जबकि उसे ज्यादा ही 
जानकारी है.बस ज़रूरत है तो देशप्रेम और इच्छाशक्ति की. जब भारतीयों को ही अपनी भाषा बोलने में झिझक महसूस होने लगे तो किसी विदेशी 
को इन सबके लिए जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है.
अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषा को सीखने पढ़ने में कोई बुराई नहीं है.
महत्त्वपूर्ण यह है कि आपने अपने देश के आम लोगों तक क्या यह ज्ञान पहुँचाया ? अपनी मातृभाषा में उस सीखे हुए ज्ञान को पहुँचाने के लिए आपने क्या किया ? नीचे दिए गए लिंक पर जाएँ :

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