जनता जब अपनी पर उतर आती है
तब वो हद से गुज़र जाती है .
अच्छे -अच्छों की हिल जाती हैं कुरसियाँ
शैतान की रूह तक काँप जाती है .
जो समझते हैं जनता को कठपुतली सा -2
जनता उनको छठी का दूध याद दिलाती है .
जनता अग़र राजा बना सकती है,
तो जनता ही सड़क पर भी लाती है .
यह बात नहीं ज़रा सी है -२
अभी तो यह शुरुआत है ,फिल्म का ट्रेलर है -२
पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है .
अन्ना हज़ारे ने की है जिस जंग की शुरुआत -२
आगे इसकी जड़े समस्त भारत तक जाती हैं.
....................सुरेन्द्र कुमार .........
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