मंगलवार, 18 जून 2013

      धूम्रपान : एक व्यापक सामाजिक समस्या  


प्रशासन कहता है कि सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट -बीडी पीना अपराध है।पर लोग धड़ल्ले से पीते हैं।मना  करने पर मरने -मारने पर उतारू हो जाते हैं। उनको रोकने के लिए सरकार ने कहीं पर भी कोई व्यवस्था नहीं कर रखी है। इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है जो धूम्रपान नहीं करते।लेकिन दूसरों के द्वारा किये जा रहे धूम्रपान का शिकार होने को मजबूर हैं। सिनेमा हॉल ,बस ,रेल,बस स्टैंड ,या भीड़ -भाड़ वाले अन्य स्थानो के अलावा अपार्टमेंट्स और फ्लैट्स भी इससे अछूते नहीं हैं। नीचे के फ्लोर से ऊपर की तरफ जाने वाला बीडी सिगरेट का धुआं ऊपर के फ्लैट्स में रहने वाले लोगों के लिए।बहुत ज्यादा नुकसानदायक है क्योंकि फ्लैट्स में तो  धुआं रोज़ ही आता है। आदमी घर छोड़ कर तो भाग नहीं जाएगा।अगर  जाकर धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को मना  करे तो वह कहेगा भाई मैं अपने घर में कुछ करूँ तुझे क्या तकलीफ हो रही है? एकबार यह धुआं घर में घुस जाए 

तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता घर में रहने वाले बच्चे ता अन्य सदस्य अनजाने ही में फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त हो जाएँगे और उन्हें पता भी नहीं चल पाएगा कि  उनको यह बीमारी कैसे हो गई।धूम्रपान करनेवाला अपने साथ -साथ दूसरों की भी ज़िन्दगी  को भी मौत की तरफ बढाता है।
 इस सन्दर्भ में मुझे लगता है कि व्यापक जनहित और जनस्वास्थ्य को ध्यान में  रखते हुए माननीय उच्चतम 
न्यायालय को इसके उत्पादन और बिक्री पर रोक लगा देनी चाहिए। क्योंकि यहाँ पर एक व्यक्ति की स्वतंत्रता 
अन्य व्यक्तियों के स्वस्थ  जीवन के अधिकार  में बाधक बन रही है। 

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