शनिवार, 8 नवंबर 2014

जागो जनता जागो !

प्रतिनिधि चुनते समय लहर की बजाय अपने अपने शहर और उसकी ज़रूरतों का ध्यान रखना अधिक ज़रूरी हैं। एक व्यक्ति बहुत अच्छा है पर ज़रूरी नहीं उनके नाम का सहारा लेने वाला हर व्यक्ति भी उन्हीं की तरह समर्पित हो। दिल्ली के सफाई अभियान को हम इस सन्दर्भ में देख चुके हैं। सहारा लेने वाले व्यक्ति की क्या अपनी कोई उपलब्धि या पहचान नहीं है जिसके आधार पर वो जनता के सामने सिर उठाकर जा सके। जबकि आखिरकार जनता के बीच उसे ही रहना और काम करना है। इस बारे में आम जनता को सोच समझकर फैसला करने की ज़रूरत है। क्योंकि किसी भी फैसले में भावना और बुद्धि का उचित सामंजस्य होना चाहिए। एक तरफ हम भावना में बहकर अपने पैर पर खुद की कुल्हाड़ी मार लेते हैं तो दूसरी तरफ अत्यधिक बुद्धि प्रेरित होना हमें स्वार्थी बनाता है। हम भारतीय लोग भावनाओं में बहुत जल्दी बहकर किसी की बात पर बहुत जल्दी विश्वास कर लेते हैं। पर अब भावना पर बुद्धि का नियंत्रण स्थापित कर उचित निर्णय लेने का वक़्त है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह बात अब समझनी ही होगी अन्यथा हम अपने छोटे छोटे सपनों को यूँ ही मरते देखते रहेंगे।

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